1980 दशक की फिल्म रज़िया सुल्तान बॉलीवुड की सबसे EXPENSIVE FLOP जिसने एक ERA का THE END कर दिया|

फिल्म फिल्म raziya sultana

1970 और 80 के दशक में हिंदी फिल्म में बड़ा बदलाव देखने को मिला। इस युग में फिल्मों में न केवल सामाजिक मुद्दे बल्कि ऐतिहासिक महाकाव्य भी बड़े पैमाने पर बनने लगे थे। इसी बदलाव को देखते हुए, निर्माता कमाल अमरोही ने भी अपनी खुद की एक महाकाव्य FILM बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने ‘रज़िया सुल्तान’ नामक एक भव्य ऐतिहासिक ड्रामा की योजना बनाई, जो उन्हें उम्मीद थी कि एक बड़ी हिट साबित होगी। लेकिन इतनी बड़ी महत्वाकांक्षी सोच और उम्मीदों के बावजूद, ‘रज़िया सुल्तान’ बॉलीवुड की सबसे बड़ी फ्लॉप MOVIE में से एक बन गई।

रज़िया सुल्तान फिल्म का निर्माण और कहानी

CINEMA ‘रज़िया सुल्तान’ भारत की एकमात्र मुस्लिम महिला शासक रज़िया सुल्तान की कहानी पर आधारित थी। इसमें हेमामालिनी ने रज़िया का किरदार निभाया और धर्मेंद्र, परवीन बाबी, सोहराब मोदी, और अजीत जैसे बड़े सितारों की कास्ट भी इस फिल्म का हिस्सा थे। इसे 10 करोड़ रुपये के बड़े बजट पर बनाया गया था, जो उस समय की सबसे महंगी भारतीय FILM थी। कमाल अमरोही ने इसे एक ऐसा महाकाव्य बनाने का सपना देखा था जो दर्शकों को इतिहास से जोड़ सके और साथ ही उन्हें अद्भुत मनोरंजन भी दे सके।

इस को बनाने में लगभग सात साल लगे और इस दौरान कमाल अमरोही ने कई चुनौतियों का सामना किया। उन्होंने फिल्म की सेटिंग, वेशभूषा और भाषा को पूरी तरह से ऐतिहासिक बनाने की कोशिश की ताकि यह दर्शकों को उस समय में ले जा सके। FILM की उर्दू भाषा को असल रूप में प्रस्तुत करने के लिए अमरोही ने बेहद क्लासिकल शब्दों का चयन किया, लेकिन यही फिल्म की असफलता का एक कारण भी बना। दर्शकों के लिए इस कठिन भाषा को समझना मुश्किल हो गया।

विवाद और असफलता के कारण

‘रज़िया सुल्तान’ की असफलता के पीछे कई कारण रहे। पहला कारण यह था कि फिल्म में इस्तेमाल की गई उर्दू भाषा बहुत कठिन थी, जिसे समझना कई दर्शकों के लिए मुश्किल हो गया। इसके अलावा, फिल्म की लंबाई भी अधिक थी, जिसके कारण दर्शकों का ध्यान भटक गया। धर्मेंद्र ने FILM में एक योद्धा याकूत का किरदार निभाया था, जिसके लिए उन्होंने ब्लैक फेस का इस्तेमाल किया। यह बात उस समय विवाद का कारण बनी और इसे लेकर आलोचना भी हुई।

FILM में रज़िया सुल्तान और उनकी सहायक ख़ाकुन (परवीन बाबी) के बीच एक गहरा संबंध दिखाया गया था। एक गाने में उनके बीच एक चुंबन दृश्य भी था, जिसे समलैंगिक चुंबन के रूप में प्रचारित किया गया। इस दृश्य ने परिवारों को FILM से दूर कर दिया और कुछ मुस्लिम नेताओं ने भी मुस्लिम महिलाओं के चित्रण पर आपत्ति जताई। यह FILM के लिए नकारात्मक प्रचार का कारण बना, और इससे FILM का प्रभाव और भी कमजोर पड़ गया।

आर्थिक प्रभाव और बॉलीवुड पर असर

‘रज़िया सुल्तान’ केवल एक MOVIE नहीं थी, बल्कि यह एक ऐसा प्रोजेक्ट था जिसे बनाने में कई साल लगे और इसे बनाने में बड़ी मात्रा में पैसा लगाया गया था। इस MOVIE में सैकड़ों तकनीशियनों और हजारों अतिरिक्त अभिनेताओं ने काम किया। फिल्म में कई बेहतरीन सेट्स और भव्य दृश्यों का निर्माण किया गया, जिनके लिए कमाल अमरोही ने फिल्म उद्योग से उधार लेकर पैसा जुटाया था। उन्होंने फिल्म के कई क्रू सदस्यों को भुगतान भी रोक दिया था, यह वादा करते हुए कि रिलीज के बाद उनके बकाए का भुगतान किया जाएगा।

जब FILM 80% का नुकसान झेलकर फ्लॉप हो गई, तो इसने बॉलीवुड की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डाला। अमरोही ने अपनी जेब से क्रू सदस्यों को भुगतान किया, लेकिन वितरकों और प्रदर्शकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा। IMDb के अनुसार, इस फ्लॉप फिल्म के कारण लगभग पूरा हिंदी फिल्म उद्योग कर्ज में डूब गया था, जिससे बॉलीवुड में नकदी की भारी कमी का सामना करना पड़ा।

कमाल अमरोही की करियर पर अंतिम चोट

इस असफलता के बावजूद, कमाल अमरोही ने आगे बढ़ने की कोशिश की। उन्होंने राजेश खन्ना को लेकर ‘मजनूं’ नामक एक नई फिल्म पर काम शुरू किया, लेकिन ‘रज़िया सुल्तान’ से हुए वित्तीय नुकसान के कारण यह प्रोजेक्ट भी बंद हो गया। इसके बाद उन्होंने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर पर आधारित ‘आखिरी मुगल’ नामक एक स्क्रिप्ट लिखना शुरू किया, लेकिन वे इसे पूरा नहीं कर सके।

कमाल अमरोही का निधन 1993 में हुआ और ‘रज़िया सुल्तान’ उनकी आखिरी FILM बनकर रह गई। यह उनके सपने का एक दुखद अंत था जिसने न केवल उनके करियर बल्कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री पर गहरा प्रभाव छोड़ा। ‘रज़िया सुल्तान’ एक ऐसी फिल्म थी जो अपनी महत्वाकांक्षा और भव्यता के बावजूद दर्शकों को जोड़ने में असफल रही, और यह बॉलीवुड के इतिहास में एक यादगार त्रासदी बनकर रह गई।

‘रज़िया सुल्तान’ ने बॉलीवुड में कई परिवर्तन लाए। इसके असफलता के कारणों में कठिन भाषा, लंबाई, और विवादित दृश्य शामिल थे, लेकिन यह फिल्म अब भी एक उदाहरण है कि किस तरह महत्वाकांक्षा और भव्यता कभी-कभी असफलता में बदल सकती है।

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Author: Atul

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